How to Learn Computer in Hindi

How to Learn Computer in Hindi
आप कंप्यूटर सीखना तो चाहते है लेकिन हिंदी में नेट पे बहुत कम लेख उपलब्ध होने के कारण सीख नहीं पा रहे है तो.....

मानक हिंदी वर्तनी

Posted By: Dharmendra Goyal - 6:00 pm
इंटरनेट पर मानक हिंदी वर्तनी से संबंधित निम्नलिखित नियम उपलब्ध हैं -


The case-signs in Hindi should always be written as separate words, except in case of pronouns where they should be tagged on to the stems (प्रतिपादिक); e.g. १. राम ने २. स्त्री को ३. उसने ४. मुझको.
Exception:

1. Where pronouns have two case-signs at a time, the first should be tagged on to the stem while the second should be written separately; e.g. १. उसके लिये २. इसमें से.

2. When the particles ही, तक etc. fall in between a pronoun and its case-sign be written as a separate word; e.g. आप ही के लिये, मुझ तक को.
2. In case of compound verbs, all subsidiaries should be written separately; e.g. १. पड़ा करता है २. आ सकता है.

3. The indeclinables तक, साथ etc. should always be written as separate words; e.g. आपके साथ, यहाँ तक. 

4. The absolutive forms should always be written as single words; e.g. मिलाकर, खा-पीकर, रो-रोकर.

5. In case of co-ordinative compounds, hyphen should be placed in between the constituent words; e.g. राम-लक्ष्मण, शिव-पार्वती-संवाद.

6. Hyphen should be placed before particles like सा, जैसा; e.g. तुम-सा, राम-जैसा, चाकू-से तीखे.

7. In case of dependent determinative compounds, hyphen should be used only to avoid risk of ambiguity; e.g. भू-तत्व. 

8. Where the use of glidal य, व is optional, it may be avoided, i.e., in the words like गए-गये, नई-नयी, हुआ-हुवा, etc. using only the former (vowel) forms. This rule is applicable in all cases viz., verbal, adjectival and undeclinable forms. 

9. ऐ and औ express two distinct sounds in Hindi. First as in words like है, और, etc. and the other in words like गवैया, कौवा, etc. The use of these symbols to express these two distinct sounds should continue. Modifications like गवय्या, कव्वा, etc. are unnecessary.

10. तत्सम words borrowed from Sanskrit should ordinarily be spelt in their original Sanskrit form. But where the use of Hal sign (right slanting stroke \) has already discontinued in Hindi, words like महान (न्‌), विद्वान (न्‌), it need not be revived. 

11. Where the fifth letter of a class of consonants (वर्ग) precedes any of the four remaining letters of the same class, the अनुस्वार should be invariably used instead of the fifth letter; e.g. अंत, गंगा, संपादक. 

12. Use of nasalisation sign (अँ) (चंद्रबिंदु) is sometimes necessary to avoid ambiguity in meaning and to mark out distinction between words like हंस-हँस etc. Except where it is difficult to write or print, चंद्रबिंदु must necessarily be used in poetry to maintain metric sequence. Similarly, in the primers for children where introduction of चंद्रबिंदु is desired, चंद्रबिंदु must invariably be used; e.g. नहीँ, मेँ, मैँ, etc. 

13. Words of Arabo-Persian origin which have been adapted in Hindi vocabulary should continue to be used as such; e.g. जरूर. But where their use in innate form is desired, dots (नुक़्ते) must be used to denote alien origin; e.g. राज़, नाज़.
14. Where use of English words with half-open औ sound is desired, अर्ध-चंद्र symbol should be placed over आ as in ऑनरेरी, डॉक्टर. 

15. If Sanskrit words with विसर्ग have to be used in Hindi in their तत्सम form, the विसर्ग should be placed appropriately as in दुःखानुभूति. But if such words are to be used in their modified (तद्भव) form, विसर्ग can easily be omitted as in दुख-सुख के साथी.

उपर्युक्त नियमों को लेकर हिंदी के विद्वानों और लेखकों में मतैक्य नहीं है। हालाँकि, इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि हिंदी वर्तनी की अनेकरूपता के संदर्भ में ये नियम महत्त्वपूर्ण हैं। 

इन नियमों के पालन में अनेक बाधाएँ हैं। हिंदी के शिक्षक इन नियमों को पर्याप्त महत्त्व नहीं देते हैं। मेरे हिंदी शिक्षक ग्यारहवें नियम को गलत मानते थे और मैं भी कुछ वर्षों पहले तक उनकी शिक्षा को "सर्वोपरि" मानते हुए इस नियम का पालन नहीं करता था। आज मैं एक अनुवादक के तौर पर इस नियम का महत्त्व जानता हूँ।

चंद्रबिंदु के प्रयोग को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हिंदी के अनेक अनुवादक इसके प्रयोग को सही मानते हैं। इस विषय पर उनकी राय जानने के लिए निम्नलिखित लिंक पर क्लिक करें:

क्या पूर्ण विराम के बदले अंग्रेज़ी के फुल स्टॉप का प्रयोग करना सही है ?

Posted By: Dharmendra Goyal - 5:56 pm
"अखबारों (बीबीसी, टाइम्स ग्रुप , सरिता-मुक्ता ग्रुप आदि) में पूर्णविराम की जगह Fullstop का प्रयोग सिर्फ सुविधा और शीघ्रता की दृष्टि से किया जाता है। क्योंकि कीबोर्ड लेआऊट में fullstop सामान्य की से टाइप हो जाता है, किन्तु पूर्णविराम के लिए शिफ्ट की दबाए रखकर टाइप करना पड़ता है (inscript में)। जिससे अतिरिक्त भार पड़ता है और कुछ मिलिसेकेण्ड की टंकण गति कम होती है।

किन्तु Advanced कम्प्यूटिंग यथा NLP के प्रयोगों में यह गलत है और अनेकानेक भयंकर समस्याओं को जन्म देता है---

यथा--

एक वाक्य का उदाहरण लें-

"Mr. A.B.Strong has paid a sum of Rs.5,678.50 by online payment through hdfcbank.com."

यहाँ dot (.) का प्रयोग अनेक अर्थों में हुआ है

"Mr. A. (abbreviation) B. (abbreviation) Strong has paid a sum of Rs. (abbreviation) 5,678.(Decimal point)50 by online payment through hdfcbank.(dot)com. (full stop)"

इससे शब्दबोध में काफी परेशानी होती है। और CAT(Computer Aided Translation) हेतु वाक्यखण्ड बनाने के दौरान गलत स्थान पर वाक्य विच्छेद हो जाता है।

अंग्रेजी के फुलस्टॉप (.) period का प्रयोग अनेक अर्थों में होता है

(1) Fullstop या वाक्यान्त(U002E)

(2) संक्षिप्ति चिह्न abbreviation

(3) .(DOT) वेबसाइट पतों तथा ईमेल मे विशेष पहचान हेतु

(4) Math में multiply के लिए ( 2.2=4)

(5) Rs.1234.50 Decimal point के रूप में

(6) paragraph end के लिए

अन्य प्रयोग और भी हैं.... यथा dotted line के लिए......

अतः पूर्णविराम के स्थान पर फुलस्टॉप का प्रयोग करना सर्वथा गलत है...

-- अनजाने में भयंकर समस्या पैदा करना है

-- तकनीकी रूप से अवैज्ञानिक है।

इसके विपरीत हिन्दी (देवनागरी) यूनीकोड में  वाक्य-अन्त हेतु पूर्णविराम/दण्ड (। - U0964) निर्धारित है।"

आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

Posted By: Dharmendra Goyal - 1:44 pm
लेखक - जी. के. अवधिया . 

किसी कम्प्यूटर (Computer) को चलाने में आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। दरअसल यह हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। कम्प्यूटर हमारी भाषा नहीं समझता, वह केवल मशीनी भाषा को ही समझता है जबकि हम कम्प्यूटर की भाषा को नहीं जानते। फिर हमारे और कम्प्यूटर के बीच सम्बंध को बनाये रखने वाला दुभाषिया कौन है? – यही अपना आपरेटिंग सिस्टम (Operating System)। यह हमारी भाषा को समझ कर उसे कम्प्यूटर की भाषा में बताता है और कम्प्यूटर की भाषा को हमारी भाषा में परिवर्तित कर के हमें समझाता है।
वैसे तो कोई भी व्यक्ति यह जाने बिना कि आपरेटिंग सिस्टम क्या है, कैसे कार्य करता है, इसकी उपयोगिता क्या है बड़ी आसानी के साथ कम्प्यूटर का प्रयोग कर सकता है किन्तु उसके लिये यह और भी अच्छी बात होगी कि वह इस बातों को जान ले।
आपरेटिंग सिस्टम क्या है
यह कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर सिस्टम के हार्डवेयर रिसोर्सेस (Hardware Resources), जैसे- मेमोरी (Memory), प्रोसेसर (Processor) तथा इनपुट-आउटपुट डिवाइसेस (Input-Output Divices) को व्यवस्थित करने के लिये बनाया गया सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ही आपरेटिंग सिस्टम (Operating System) होता है। यह व्यवस्थित रूप से जमे हुए सॉफ्टवेयर्स का समूह होता है जो कि आंकडो (data) एवं निर्देश (commands) को नियंत्रित करता है। कम्प्यूटर के प्रत्येक रिसोर्स की स्थिति का लेखा – जोखा आपरेटिंग सिस्टम ही रखता है, आपरेटिंग सिस्टम ही निर्णय करता है कि किसका, कब और कितनी देर के लिए कम्प्यूटर रिसोर्स पर नियंत्रण होगा।
आपरेटिंग सिस्टम क्यों आवश्यक है

जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आपरेटिंग सिस्टम हमारे तथा कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम का कार्य करता है। इसके अलावा यह हार्डवेयर्स (Hardwares) तथा सॉफ्टवेयर्स (Softwares) के मध्य एक सेतु का कार्य भी करता है। आपरेटिंग सिस्टम के बिना कम्पयूटर का अपने आप मे कोई अस्तित्व ही नही है। यदि आपरेटिंग सिस्टम न हो तो कम्प्यूटर अपने हार्डवेयर्स जैसे कि कुंजीपटल (Keyboard), मानिटर (Monitor), सीपीयू (CPU) आदि के बीच कभी भी सम्बंध स्थापित नहीं कर पायेगा। आपरेटिंग सिस्टम किसी कम्प्यूटर प्रयोग करने वाले को इस जहमत से बचाता है कि वह कम्यूटर के समस्त भागो की जानकारी रखे।
आपरेटिंग सिस्टम के कार्य
आपरेटिंग सिस्टम अनेक प्रकार के उपयोगी कार्य करता है जिनमें से कुछ प्रमुख कार्य नीचे दिये जा रहे हैं:
  • फाइल पद्धति (File System) – फाइल बनाना, मिटाना तथा फाइलों को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाना और फाइल निर्देशिका को व्यवस्थित करना।
  • प्रक्रिया (Processing) – कार्यक्रमों (Programs) और आँकडों (Data) को मेमोरी मे बाँटना, प्रक्रिया (Process) को आरम्भ करके समुचित रूप से चलाना।
  • इनपुट/आउटपुट (input/output) – सीपीयू और मानिटर (Monitor), प्रिंटर (Printer), डिस्क (Disk) आदि के बीच मध्यस्थता करना।
आपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
वैसे तो विभिन्न कालों में विभिन्न आपरेटिंग सिस्टमों का निर्माण हुआ पर प्रमुख रूप से प्रयोग किये जाने वाले लोकप्रिय आपरेटिंग सिस्टम की सूची नीचे दी जा रही है:
  • लिनक्स (Linux)
  • मैक एस (MacOS)
  • एमएस डाज (MS-DOS)
  • आईबीएम ओएश/2 (IBM OS/2)
  • यूनिक्स (Unix)
  • विन्डोज सीई (Windows CE)
  • विन्डोज 3.x (Windows 3.x)
  • विन्डोज 95 (Windows 95)
  • विन्डोज 98 (Windows 98)
  • विन्डोज 98 एस ई (Windows 98 SE)
  • विन्डोज एमई (Windows ME)
  • विन्डोज एनटी (Windows NT)
  • विन्डोज 2000 (Windows 2000)
  • विन्डोज एक्सपी (Windows XP)
  • विन्डोज सेवन (Windows Seven)
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